मौजों की मस्ती का कया राज़ है
किनारे की तरफ हर कूच में
वही जोश, वही उम्मीद
हारने और टूटने की जब है खबर
फिर ये कोशिश क्यों बरकरार है
दिल उसी को चाहे
जिसकी चाहत में मैं नहीं
दिल उसी को ढूंढे
जिसे पाना मुमकिन नहीं
न पूरी होगी ये तलब जब है खबर
फिर ये जूनून क्यों बरक़रार है
मिलते हैं आज भी
पन्नो में सूखे कुछ फूल
आज भी टकरा जाते हैं
इशारे कुछ बिसरे कुछ भूल
न होंगे ताज़ा ये लम्हे जब है खबर
फिर ये मोहब्बत क्यों बरकरार है